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________________ १८० जिनवाणी हो सकता। रामायण, महाभारत और पुराणोके राजवंशोंकी वातको जाने दीजिए; विक्रमादित्य, राजा भोज और दूसरे रजपूत राजाओंक चरित्रमें भी न जाने कितनी विचित्र वातें आ घुसी है; तथापि इनकी ऐतिहासिकताके विषयमें कोई शंका नहीं करता। ___यदि कोई यह सिद्धान्त बना बैठे कि जहां अलौकिकता है, वहां ऐतिहासिकता रह ही नहीं सकती, तो फिर तो अशोक और गौतम बुद्ध भी काल्पनिक पुरुष ही माने जायेंगे । ईसाइयोके ईसुखीस्त और इसलाम धर्मके प्रवर्तक मुहम्मद पैगम्बरके चरित्रमें क्या अलौकिक घटनाएं नहीं है ? सिक्ख संप्रदायके गुरु नानक, कवीर और गुरु गोविन्दके जीवनमें भी अलौकिक घटनाएं आई है। अभी कल ही की बात है, श्रीरामकृष्ण परमहंस और केशवचन्द्र संनका जीवनचरित्र भी ऐसी घटनामोसे अस्पृष्ट नहीं रहा। सारांश यह कि, पार्श्वनाथ भगवानके जीवनचरित्रमें अलौकिक घटनाएं है इसी कारण पार्श्वनाथ नामका कोई पुरुष हुवा ही नहीं, यह बात न माननी, न कहनी चाहिए। जैन आगम साहित्यमें गणधर गौतम और केशीका एक सम्वाद मिलता है। इस सम्बादमें यदि तनिक भी ऐतिहासिकता हो तो इस बातमें जरा भी शक न होना चाहिये कि महावीर स्वामीके पूर्व जैन संप्रदाय था और भगवान पार्श्वनाथ उसके परिचालक थे । आचार्य कैशी पार्श्वनाथ भगवानके शिष्य थे। वे पाच भगवानके अनुयायियोंके एक नेता भी थे। गौतमस्वामी और इनमें जो सम्वाद हुवा उसमें क्या महावीरस्वामीने ही सर्वप्रथम सत्यधर्मका प्रचार किया है ? महावीरस्वामी प्रदर्शित मार्ग पर चलनेसे जीवोंकी मुक्ति हो सकती है
SR No.010383
Book TitleJinavani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisatya Bhattacharya, Sushil, Gopinath Gupt
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year1952
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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