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भगवान पार्श्वनाथ
१५९ देहावसानकी खबर दी। इस समाचारसे महाराजा अत्यन्त दुःखी हुवे और मन ही मन कहने लगे • " मैंने स्वयं उसे जानेसे रोका था, पर वह न माना; आखिर दुष्टने अपने सगे भाईको भी निर्दयतापूर्वक मार ही डाला।
संसारमें अमर कौन है ? कमठ और उसकी पत्नी वरुणा भी परलोक सिधार चुके है। ____ आकाशके एक कोनेमें धीर धीरे घटा घिर रही है। वह घटा नहीं है, मानों कोई कुशल चित्रकार निश्चित होकर आकाशपट पर नये नये चित्र बना रहा है । घड़ीमें एक चित्र बनाता है, तो घडीके बाद उसे मिटा देता है; घडीभरमें एक नया ही आकार नजर आता है। ___महाराजा अरविन्द इस मेघलीलाको तल्लीन होकर देख रहे है। मेघ-चित्रकारने एक जिन मन्दिर बनाना शुरू किया । महाराजाको वह चित्र इतना पसन्द आया कि वे रंग और ब्रुश लेकर उसकी नकल उतारने बैठ गये । वेवादलोक आकारका ही एक दूसरा जिनमन्दिर निर्माण करना चाहते थे।
देखते ही देखते बादल फट गए और मन्दिरका सारा स्वप्न विलीन-विल्स हो गया।
महाराजाके अन्तःकरणने पुकारा : “ क्या सचमुच संसार इतना अस्थिर है ? यह राज्य, यह संपदा, यह जीवन, यह सब कुछ क्या इस वादलके मन्दिरके समान ही क्षणिक है ? इन सबके छिन्नभिन्न होनेमें क्या देर लगती है ? मैं क्यों इस अस्थिर संसारके पीछे अपना