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जिनवाणी
मनुष्यके अतिरिक्त जितने प्राणी आंखसे दिखलाई देते है वे सब तिर्यंच कहलाते हैं । तिर्यंच मध्यलोकमें रहेते है। इनमें भी एकेन्द्रियादि बहुतसे भेद हैं। मध्यलोकके सब भागोंमें एकेन्द्रिय होते है।'
१. एसा मालूम होता है कि, 'जिनवाणी' मासिकपत्र वन्द हो जानेके कारण इससे आगेका अंश प्रकट नहीं हो सका।
(गुजराती अनुवादक श्रीसुशील)