________________
जिनहर्ष-ग्रन्थावली मुनिसुव्रत-गीतम्
राग-तोडी आज सफल दिन भयउ सखी री।
मुनिसुव्रत जिनवर की सूरति,
मोहणगारी जउ निरपी री ॥१आ.॥ आज मेरइ घरि सुरतरु ऊगल, निधि प्रगटी घरि आज अपीरी।
आज मनोरथ सकल फले मेरे,
प्रभु देपत ही दिल हरपी री ॥२आ.॥ ताप गए सबहि भव भव के, दुरगति दुरमति दूरि नपी री ।
कहइ जिनहरष मुगति कु दाता, सिर परि ताकी आण रपी री ॥३आ.|| नमिनाथ-गीतम्
राग-कल्याण नमि जिनवर नमीये चितलाई ।
जाकड़ नाम नवे निधि लहीये,
विपति रहइ नही घर मइ काई ॥१ना.।। दरसण देपन ही दुप छीजह । पातक कुलटा ज्यु तजि जाई ।