________________
सज्झाय संग्रह रहनेमि राजिमती गीत
___ ढाल कलाल की-री' ' नेमभणी चाली बंदिवा हो लाल, मारग वठौ मेह-राजीमती । भीनी साड़ी कंचओ हो लाल, भीनी सगली देह राजीमती ॥१॥ तै मारौ मनड़ौ मोहियौ हो लाल, मोहियो श्री रहनेम राजी०॥२।। देखि एकांति सुहामणी हे लाल, आइ गुफा मझार राजी।। - चीर सुकाया. आपणां हो लाल, दीठी रहनेम तिवार राजी०२॥ रूप निरखो रलियामणौ हो लाल, चको चित मुनिराय ॥राजी।। वचन कह सुणी साधवी होलाल, मत मन व्याकुल थायोराजी०॥ हूँ रहनेम रहे इहां हो लाल, तू आइ मोरे भाग ।। राजी०॥ भोग तणां सुख भोगवां हो लाल, छोड़ि परौ वैरागाराजी०॥४॥ लाजी मनमें साधवी हो लाल, पहिया साड़ी चीर ॥राजी।। बोली साहस, आंणीनै हो लाल, सुणि नेमजीरा वीर ॥राजी।। रहनेभजी त जादव सिर सैहरौ हो लाल, समुद्रविजैरा नंद।।रहनेम।। वचन विचारी बोलिये हो लाल, जिम थाये आणंद रह० ॥६॥ विषय विकार न सेवियै हो लाल, किम कीजै व्रत भंग ॥रह०॥ रहनेमजी ! इन वातै छै मेहणौ हो लाल, आवैकुलनैगाल रहा। संजम संचित लायनै हो लाल, सुद्ध महाव्रत पाल रह०७॥ आदरिऊ भजियै नहीं हो लाल, ले मंकीजे केम ॥ रह० ॥ , वम्यो आहार न जीमिय हो लाल, राजल जंपे एम ॥ रह० ८॥