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१६ मल्लि जिन स्तवन २० मुनिसुव्रत स्तवन २१ नमि जिन स्तवन २२ नेमि जिन स्तवन २३ पार्श्व जिन स्तवन २४ महावीर जिन स्तवन २५ कलश
३ मल्लिनाथ निसनेही निरंजन १३ ३ ऐसो प्रभु सेवो रे मन ज्ञानी १४ ३ नैना मे नमिनाथ निहार्यो १४ ३ बलिहारी हुँ तेरे नाम की १५ ३ भोर भयो उठ भन रे पास १६ ३ साहिव मोरा हो अब तो महिरकरो१६ ३ जिनवर चउवीसे सुखदाई १७
__( स० १७३५ लि०)
चौवीसी ( २) २६ आदिनाथ गीतम् २७ अजितनाथ गीतम्
२८ संभव जिन गीतम् २६ अभिनंदन गीतम् ३० सुमतिनाथ गीतम् ३१ पद्मप्रभु गीतम् ३२ सुपार्श्व जिन गीतम् ३३ चंद्रप्रभु गीतम् ३४ सुविधिनाथ गीतम् ३५ शीतलनाथ गीतम् ३६ श्रेयासनाथ गीतम् ३७ चासुपूज्य गीतम्
३ रे जीउ मोह मिथ्यात मई १९ ३ स्वामि अजित जिन
सेवइ न क्यु प्राणी ३ अव सोहि प्रभु अपणो पद दीले २० ३ मेरउ प्रभु सेवक कुं उपगारी २१ ३ जीउ रे प्रभु चरण चितलाई २१ ३ हो जिनजी अब तु महिर करीजै २२ 3 कृपा करी सामि सुपास निवाजउ २३ ३ चंद्रप्रभु अष्ट कर्म क्षयकारी २३ ३ नाथ तेरे चरण न छोड़ २४ ३ शीतल लोयणा हो जोवउ सी० २४
३ श्रेयांस जिनेसर मेरउ अतरजामी २५ । ३ हो जिनजी अब मेरइ वनि आई
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