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________________ कहियो ३ अनु क्रम णि का १ चौवीसी ( १) कृतिनाम गाथा आदि पद पृष्ठ १ ऋषभ जिन स्तवन ३ देख्यौ रे ऋपम जिणंद १ २ अजित जिन स्तवन ३ मेरो लीन भयो मन जिन सेती १ ३ सभव जिन स्तवन ३ बहुत दिनां थी मै साहिब ४ अभिनदन स्तवन ३ मेरो एक सदेशौ कहियो ५ सुमति जिन स्तवन ३ समरि समरि सुख लालची मनां ३ ६ पद्मग्रभ स्तवन ३ पदमप्रभु सूरति त्रिभुवन सोहै ४ ७ सुपार्श्व जिन स्तवन ३ दोइ कर जोरि अरज करु अरिहंत ५ ८ चन्द्रप्रभु स्तवन ३ देखेरी चन्द्रप्रभु में चंद समान ५ ६ सुविधि जिन स्तवन ३ मेरा दिल लगा साई तेरा न १० शीतल जिन स्तवन ३ जव ते मूरति दृष्टि परी री ११ श्रेयास जिन स्तवन ३ मेरौ मोह्यो श्रेयास जिनवर १२ वासुपूज्य स्तवन . ३ वासुपूज्य स्वामी सेती ८ १३ विमल जिन स्तवन ३ प्राण धणी सुप्रीति बणाई. ६ १४ अनन्त जिन स्तवन ३ मैं तेरी प्रीति पिछाणी हो १५ धर्म जिन स्तवन ३ अब मेरो मनरौ प्रभुजी हरलीनो १० १६ शाति जिन स्तवन ३ कैसे कर पहुंचा संदेश ११ १७ कथु जिन स्तवन . ३ मन मोहन प्रभु की मुरतिया ११ १८ अर जिन स्तवन ३ कहि कहि रे जिउरा प्रभुजी आगे १२ 99 vww
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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