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श्री सिमंधर स्वामि स्तवन उपगारी भारी खमा, तेहनै सहुनी इ लाज । जि० । विरुयां ही विरचइ नही, जेम कनक वृखराजि ॥ जि०३श्री॥ निगुणउ साहिब जेहनउ, तास न पूगइ आस । जि० । तुझ सरिखा जेहनइ धणी, ते किम फिरइ निरास । जि०४श्री॥ तुं साहिब सिर माहरइ, पाप मतंगज गाह । जि० । हिवे सुपनइ ही नवि धरूं, हुँ केहनी परवाह ॥ जि० ५ श्री ॥ कुंथु जिणंद अर आंतरह, जनम्या जगदाधार । जि० । मुनिसुव्रत नमि आंतरइ, लीधउ संयम भार ॥ जि०६श्री ॥ उदय देव पेढाल नइ, अंतर शिवपुर वास । जि०। पूरव लाख चउरासी नउ, आउखउ सुविलास । जि०७श्री ॥ सत्यकी माता जनमीयउ, श्रेयांसराय मल्हार । जि० । कंचण काया झिगमिगइ, परण्या रुकमणि नारि ॥जि०८श्री॥ आडा गर वन घणा, विच नदियां भर पूर । जि० । दरीयउ पिणि भरीयं जलई, आउं केम हिजूर । जि०६श्री ॥ पूरि मनोरथ माहरा, जग नायक जिनराज । जि० । स्युं जायइ छइ तुम तणउ, देतां शिवपुर राज । जि०१०श्री। विरुद गरीब नीवाज नउ, तुं जिनहरख विचारि जि० अवर न मागुं हुं किसें, आवागमण निवारि ॥ जि०११श्री ॥
श्री सीमंधर स्वामि स्तवन
ढाल | वीर वखाणी राणी चेलणा जी॥ एहनी सामि सीमंधर मोरइ मन वस्यउ जी, सुंदर सुगुण सुजाण ।