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श्री गौड़ी पार्श्वनाथ स्तवन
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गाव मधुर साद हांरे गा०, राग नइ रागिणी रे रा० २ । मानइ जनम प्रमाण हांरे मा०, भगति करि प्रभु तणी रे भ० | २|| चरणे इंद निरंद हांरे च०, सहू आवी नमह रे स० । ध्यान धरइ मन मांहि हांरे ध्या०, तिके भव नवि भ्रमइरे भ० ॥ सेवक आप समान हांरे से०, करइ संसय नही रे क० । पारस संगति लोह हांरे पा०, कनक थायह सहीरे क०२ ॥ ४ ॥ मुझ नइ प्रभु साधारि हांरे मु०, कि जाणी आपणउ रे कि० ।. असुभ करम अरिहंत हांरे अ०, दया करी कापणउरे द० ।। अश्वसेन वामा नंद हांरे अ०, मुगति तुमथी लहुरे मु० । - कहइ जिनहरख निवाज हारे क०, राजि नइ स्यूं कहुरे ॥ ५ ॥ वाडीपुर मंडण पार्श्वनाथ जिन स्तवनं
ढाल || फिर मिर वरसे, मेह हा राजा, परनाले पाणी झरे, म्हारालाल ए देशी ॥ साधण कहे कर जोड़ी हो व्हाला, दुष्कृत दूर निवारवा| म्हारालाल । बाड़ीपुर वर पास हो व्हाला, जइये आज जुहारिवा ॥ म्हा० | १ पूगे मन नी आस, हा व्हाला, परमानद पद पामिये । म्हारालाल । दुख दोहग जाई नासी हो व्हाला, कर्म कठिन अरि दामिये || म्हा|२ सरणागत प्रतिपाल हो व्हाला, वामानंदन वालहो | म्हारा लाल | दादो दीनदयाल हो व्हाला, चरणकमल एहनाग्रहो | म्हारा०|३ भेटीजै भगवन्त हो व्हाला, दरशन देखीजै सदा | म्हारा लाल | भांजै मननी भ्रांति हो व्हाला, आवै नहीं कोई आपदा || म्हा०४ ॥ नित प्रति धरिये आण हो व्हाला, जो सिर उपर एहनो । म्हारालाल