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पार्श्वनाथ स्तवन
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पिया मेहांजी मोरो प्रीतडी, पिया प्रीत जिसी जल मीनो । पिया चंद चकोरा नेहलो, पिया तिम मुझसं लयलीनो | म्हा०|६ पिया किम हु आधुं तुम कन्है, पिया नहीं चरणे वेसासो । पिया राजि सखाई जो हुवे, तो पूगे मन आसो || म्हा० /७ पिया घणां दिनां रो अलजयो, पिया मिलवा गौड़ी पासो । पिया दरसण दीजै करि दया, पिया देख सहेजा दासो | म्हा० १८ पिया मुझ आडो अतर घणौ, पिया किम करि मिलियै आयौ । पिया धन बेला जिनहरख सुं, पिया भेटिस थांरा पायो ॥ म्हा | श्री गोडी पार्श्वनाथ स्तवन
ढाल - हु वारी लाल || एहनी
श्री गोडीचा पास जी, वाल्हेसर लाल, सुणि सेवक अरदासरे | वाळ अन्तरजामी तूं अछड़ वा०, हुं तुझ दीणउ दास रे || १ वा० श्री ॥ धन मानव जे ताहरउ रे वा०, देखइ निति दीदार हो । वा०| भाव आगलि भावना वा०, सफल करइ अवतार रे । २खा० श्री । इणि घटत खोइ अरइ वा०, तं सुरतरु साख्यात रे |वा० । सेवक ने सुख पूरव वा०, सहु को कहड़ ए बात रे || ३वा० श्री ॥ राजि गरीब नीवाज छउ वा०, निरधारां आधार रे | वा०| दीणा हीणा देखि नइ वा०, तुरंत करइ उपगार रे | ४ वा० | श्री | इह लोकिक सुख नउ किस्युं वा०, आप अविचल राज रे । वा० । अधिकउ अतिसय ताहरउ चा०, परतिख दी सइ आज रे । श्वा० श्री मुझ मन ऊमाहउ घणउ चा०, भेटण ताहरा पाय रे | वा० ॥