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जिनहर्ष ग्रन्थावली
सो को साजन वसै हूँ बारी, तउही हियड़ा मझार रे, हूँ० || ३ || चरण कीजै चाकरी हॅू बारी, मनमै आही हॅूस रे, हॅू०
रात दिवस हाजिर रहूँ हूँ वारी, कूड़ कहूँ तो सूंस रे हूँ० ||४|| ताहरा सेवक जो दुखी हॅू वारी, इण वाते तुझ लाज रे, सुनजर साम्हो जोड़ ने हॅू, मी वांछित काज रे ||५|| हू० द० जे मोटा मोटे गुणे हॅ, तेह न दाख छैहरे, हूँ०
जिम तिमलीये निरवंš हूँ, ओछा न धरै नेह रे ||६|| हू० द० कहितैं कहितैं राज सं हॅू वारी, केही कीजै कांण रे
अम्हे तुम्हीणा ओलगु, भावे जाण म जाण रे || ७| हूँ० द० सूरति मूरति सांगली हॅू बारी, एकलमल्ल अवीह रे हूँ० भाव घणै जिन हरख सुं हुं वारी, भेटुं ते धन दीह रे ॥८ ॥ हूँ० द० इति श्री फलौधी पार्श्वनाथ स्तवन फलौंधी पार्श्वनाथ स्तवन
दाल-वाल्हेसर मुझ वीनती गौडीचा --- एहनी
दरसण दीठौ राज रौ सांमलिया, फलवधिपूर जगदीश रे सामलिया पास दरसण दीठौ राज रौ०,
कमल कमल जिम हुलस्यों, सामलिया, पूगी आस जगीस रे । आज सफल दिन माहरो, आज सफल अवतार रे,
आज कृतारथ हॅू हुआ, भेट्यौ सुख दातार रे ||२|| सा० देव घणाई देवले, दीठा कोडा कोडि रे । सा०
पण मुझ मीट न को चढ़ें, साहिब तुम ची जोड़ रे || ३ || मा०