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मे कवि की विद्याविलास चौपई, मृगापुत्र चौपई, मत्स्योदर चौपई, विक्रम___ सेन चौपई, गुणावली चौपई आदि रचनाए ली जानी चाहिए । - इनके अतिरिक्त कवि ने स्तवन, सज्झाय, गीत, सलोको, नीसाणी, छद
दहा, कवित्त, वारहमासा, बहुत्तरी, वावनी, छतीसी, पचीसी, चोबीसी, वीसी आदि अनेक नामों वाली परम्परागत शैलियो में रचनाए प्रस्तुत की हैं। इन में से चुने हुए उद्वरण ऊपर दिए जा चुके हैं। इतना ही नही . कवि जिनहर्ष के काव्य में अपने समय की शैली के अनुसार, प्रहेलिका एवं समस्या पूर्ति के उदाहरण भी प्राप्त है । इन दोनों काव्य विधाओ के नमूने देखिए -
। प्रहेलिका ( ध्वजा)। उडे मग याकास धरणि पग -कदे न धार।। पीवे मह निसि पवन नाज नवि कदे माहार।
सुकलीणी , सुदरी चप्प सिणगार विराज। * जीव विहूणी जोइ जिले नेहागलि जाजै ।। काठ सु .प्रीति -अधिकी करे, पख चरण करयल. पखे । - जसरान तास सावासि जपि, अरथ जिको इणरो लसे॥
(पृष्ठ ४२०) . . समस्या-सिंह-के कौन सगा' । - काहे कु मित्त ज्यु प्रीति ने पालत,
प्रीति की रीति समूल न जाणइ । नेह करइ करि छह दिखावत,
मयण कुसयण उभय न पिछाणइ ॥