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नेमि राजिमती बारहमासा
परव दीवाली किम करू, नही नणंदी नउ वीर ॥ ८क || मगसिर मास सहेलिया, आन्यंउ दुख दे ण ।
- पालउ बालइ पापीयउ, आवउ वाल्हा सण ॥ ६ ॥ पोसई काया पोसीये, कीजें सरस आहार | सुईइ सेज सुहामणी, आणी हेज अपार ॥। १० क ॥ माहइ दाह पड़ई घणउ, वाये सीतल वाय । 'सीयाला नी रातड़ी, वाल्हु आवे दाये ॥ ११ क ॥ -खेले फाग संजोगिणी, फागुण सुखदाय । नेमि नगीन घरि नही खेलइ मोरी बलाइ ॥ १२ क ॥ चतुरा चैत्र सुहामणउ, रिति सरस वसंत |
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राती कुंपल रुखड़े, मुलकड़ी ए हसंत ॥ १३ क ॥ नयणे आंसू नखिता, उल्या वारह मास । निठूर नाह न आवीयड, जीउं केही आस ॥ १४ क ।। -रागभरी राजिमती, लीधउ संयम भार ।
कहे जिनहरप नहेजस, मिलीया मुगति मझारि ॥ १५ क ॥ 'नेम' राजिमतो बारहमास
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ढाल वीकारा गीतनी
रांणी राजुल इणपरि वीनवें, नेम आयौ मंगसिर मास रे । कांह तोरण थी पाछा 'वल्यां, कांइ अवला तजीय निरास रे | १ | तो मोही रे साहिव सांमंला ।
इणि पोस महिने सीपड़े, नेम सीत न सहणौ जाय रे ।
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