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नेमि राजिमती स्तवनानि गढ़ गिरिनार वाला नेमजी चलणन देस्यां, चलण तुम्हारा राजिंद
मरण हमारा रहउ रहउ रस लीजे हो ॥१।। ग ।। थाहरीतउ सूरति राजिंद म्हाने सुहावे हेकरिसउ महले आवउ हो। प्रेम अमी रससाहिबा म्हांने पावउ, विरह अग्नि ओल्हावउ हो ॥२ हीयड़उ ऊमा उ राजिंदमिलण हमारउ, मेलउ वाल्हेसर दीजे हो नरभवकेरु राजिंद लाहउजी लीजे, दिन दिन जोवन छीजे हो ॥३ म्हेतउ गुन्हउ रे साहिब कोई न कीधउ, विणिगुन्हे काई छोड़उ हो प्रेम डोरी रे राजिंद इमकिम तोड़उ, जतन करीने जोड़उ हो। थांसु तउ म्हारउ राजिन्द तनमन भीनउ, थांसु प्रेमलगायउ हो। आठ भवारा साहिब थेम्हारा वाल्हा, नवमे स्यं मन आयउहो। खोलउ विछाऊँ राजिंद थानमनाऊ, हुंचरणे सीस लगाऊँ हो । भोला बालक ज्यं राजिंद आड़उ करेस्यां, पिणिम्हे जाणन देस्यां हो थेतउ म्हांस्युं रे राजिंद नेह ऊतार्यउ, पिणि म्हे निकट रहेस्यांहो। कहे जिनहरप म्हे साथ न छोड़ा, थांसु लाहउ लेस्यां हो ॥७
(संवत् १९९२ ना श्रावण वदी तेरसने वार सनी ना दिवसे। श्री जिनहप कृत स्तवनो तथा स्वाध्यायो पूर्ण करेली छे । दः भोजक (ठाकोर) केशरीचन्द पुनमचन्द, ठे० मदारशाह पाटण ।
नेमि राजिमती गीत
ढाल म्हारउ मनमाला मां वसि रा । एहनी ॥ पंथीयड़ा कहेरे संदेसड़ो, म्हारा प्रीतमने तुं जाइरे । दूषण पाखड़ नारी तजी, एतउ दुख हीयडइ न समाय रे ॥१॥ म्हारु मन जादव मां वसि रा ।