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नेमिनाथ स्तवनानि
१६३ देखण तुझ दीदार, अलजउ अग धरूं री। . तुझ चिणि रह्यउ न जाइ, कइसइ दिवस भरूरी॥६॥ श्रा गिरनार शृंगार, दिनकर ज्यू प्रतपइ रो। नाम मंत्र प्रभु जार, निति जिनहरप जपई री ॥७॥
श्री नेमिनाथ स्तवनं
ढाल-लाछल दे मात मल्हार, एहनी आज सफल अवतार, दीठउ मई दीदार । हेजइ हरपीरे म्हारी आज सलंणी आंखडी रे जो ॥ चितमइ धरतउ चाहि, भेटण श्री जिनराइ । पूगी माहरी रे आसड़ली, थई सफली घड़ीरे जो ॥१॥ जगनायक जगदीस, आण धरूं तुझ सीस । करुणासायर रे मइ साहिब तुझनइ निरखीयउ रे जो ॥ पाप गया सहु दूरि, करम थया चकचूर । आज हो माहरुरे हीयडलु प्रभुजी हरखीयउ रे जो ॥२॥ प्राणीनउ . प्रतिपाल, तुं जग दीनदयाल ।, तुं यादव ना रे कुलनु साहिब दीवलु रे जो ॥ यादव कुल अवतंस, जगसहु करइ प्रसंस । जीव ऊगारी रे जस लीघउ त्रिभुवन मइ भलउरे जो ॥३॥ सनमुख जोवउ आज, महिर करी महाराज । तुं जगनायक रे सुखदायक जगगुरु नेमजी रे जो ॥ हुँ सेवक तुं सांमि, अरज करूं सिरि नामि ।