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________________ १६० जिनहर्ष ग्रन्थावली कुंभ नरेसर लाल तुं कुल चन्दन, सेव सुखदायक नायक पाप निकंदन लाल | म।।. नील वरण लाल शिवपुर स्यन्दन ___ करई जिनहरख सदा पाय वंदन लाल ॥७॥ म०॥ श्री नेमीनाथ स्तवनं ॥ ढाल-रसियानी ॥ नयण सलूणा हो साहिब नेमजी, सुणि माहरी अरदास । या०॥ प्राण सनेही हो प्रीतम माहरा, हुं भव नउरे दास ॥या०प्रा०॥ तुझ दरसण मुझ लागइ वालहउ, जिम चकवीनइरे भाण । या । मोहणगारा रे तइमन मोहीयउ, तो परिवारूँ रे प्राण ॥या शार नयर सोरीपुर अधिक सोहामणु, समुद्रविजयनउ रे ठाम या० शिवादेवी राणी सील सुलक्षणी, उत्तम जेहनउ रे नाम |या०३ काती मास बहुल वारसि दिनइ, अपराजित थी रे आई । या०। सिवादेवी कूखइ साहिब अवतर्या, चउद सुपनलयां रे माई 181 गरभतणी थिति पूरी भोगवी, सात दिवस नव मास । या० । जनम्या श्रावण सुदि पांचिम दिनइ, पूगी सहुनी रे आस या प्रभुनइ लेई सुरपति सुरगिरइ, जनम महोच्छव रे कीध । या० : चंदकला जिम वाधइ दिनदिनइ, अनुक्रमि योवन लीध या०। वाल ब्रह्मचारी विषय ने गंजीयउ, न धर्य सुखसुरे राग या राजकंवरि परिहरि राजीमति, आण्यउ मन मइ वइराग । या० वरसीदान देई सयम ग्रा, श्रावण सुदि छठी दीस । या०
SR No.010382
Book TitleJinaharsh Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1962
Total Pages607
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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