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शांतिनाथ स्तवनानि जणणी तुझनइ जनमीयउजी करिवा पर उपकार करण परीक्षा आवीयउजी, ताहरी हूं इणिवार ।
* श्रवणे सुणीयउ तेहवउजी, दीठउ तुझ दीदार ॥३२ स ॥ चरणे लागी देवताजी, पहुतउ सरग मझारि ।
धन धन मेघरथ नरपतीजी, अभय तणउ दातार ||३३ स || पूव भव पारेवडजी, सरण राख्यउ स्वामि |
तिम सरणागत राखिज्यो जी, मुझनड़ अवसर पामि ||३४|| निस्वारथ तह पंखीयु जी, राख्यउ देई देह |
पर दुख दुखीया जे हुवेजी, जग मई विरला तेह || ३५ स || सरणइ आव्यउ ताहरइ जी, हुँ दुखीयउ महाराज |
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भव दुख भाँजउ माहराजी, सारउ चंछित काज ॥ ३६ स || हुं अपराधी ताहरउजी, कीधा के अकाज ।
स्या अवगुण कहुं माहरा जी, कहतां आवड़ लाज ॥३७ स ॥ अंतरयामी माहरा जी, तुं सहु जाणइ बात ।
तुझ आगलि कहीय किसं जी, वीतग वात विख्यात ॥ ३८ ॥ तु साहिबछे माहरउ जी, दीन-दुखी हुं दास । कृपा करी मुझ ऊपर जी, आप शिवपुरवास || ३६ स ||
॥ कलस ॥
इम शांति जिनवर सयल सुहकर, चित निर्मल संस्तन्यउ | दाता सिरोमणि आप समगिणि, दया मारग दाखव्यउ ॥