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आदिनाथ स्तवनानि मो मन लागउ चोलतणी परि, थांसुप्रभु अधिक उछाहिः ॥६वी. कामण कीधउ मन हरि लीधु, हिबइ तुझ.विणि न सुहाइ वी.प्रा.। जाणु प्रभु पासई रहुं उलासई, चरण कमल चितलाइ।७वी. प्राः। गुण रा दरिया थे छउ भरीया,अधिक अधिक सुख होइ । वी.प्रा.। राजि निवाजउमुझ दुख भाजउ, अधिक अधिक सुख होइ ॥वी.८ सेवा सारू सुख घउ वारू, मकरि मकरि हिवइ-टील ॥वी. प्रा.॥ भाणा (2) खड़हड़ न खमी जाये, मेल्हउ.मत-अवहील हवी.प्रा.॥ ढाल-३ तंबूड़ारी वट वूकइ हो चमरा, साहिबा लेज्यौ राजिंद लेज्यो । झिर मिर झिरमिर मेहां वरसइ, राजिंद रूडउ भोजइ ति। एहनी प्रभुजी नइ सुरपति दालइ हो चमरा,साहिंव सोहइ राजिंद सोहइ प्र.। सुरगिरि परिमार्नुसुचि जलधारा, जोवंतां मनमोहइ ॥ १०प्रः ।। सिंहासण मणिरयणे जडीया, ता परि. स्वामि विराजइ ।। प्रः॥ जाण कि काया छविं कंचणसी, उदयाचल रवि छाजइ ॥११प्रः।। सुरनर असुर नमइ पाय प्रभु के प्राणी भाव. अपारा ॥ प्र.॥ मिलि मिली नृत्य करइ इंद्राणी, सफल करइ अवतारा ॥१२॥ ठकुराई अधिकी जिनजी की, देखण हीयडउ. हीसइ । प्रः । करुणानिधि को होइ कृपा जर, परतखो नयणे दीसह ॥१३॥ ढाल-४ केता लख लागा राजा जी रइ मालीयइजी, केता लख लागा गढा री पोलिहों । म्हारी नणदोरा वीरा हो राजिंद ओलभउजी एहनी।
मोरउ मनमोहउ प्रभुजी रा रूप सुंजी , देखि देखि मेंह घटा जिम. मोर हो। म्हारा. मनडा रा मान्य वाल्हेसर- सांभलउ जी ।