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जिनहर्ष - प्रन्थावली
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हुँ त थाहरु दास निरास न मेल्हिज्यो जी । - सेवक नड़ तर कहिवा नउ छह जोर हो ।। १४म्हां ॥ - चालक पिणि माग मा पास रोहनड़ जी । बीजउ कोई बालकनउ नही प्राण हो ||म्हां ॥ सेवक नह देखी नइ दीन दया मणा जी । पूरउ पूरउ त्रास विलास सुजाण हो | म्हां १५ ॥ थाहरs 'तर टोटउ नही किए ही चात रू-जी । थांहरड़ तर भरीया - छइ रिद्धि - भंडार हो ||म्हां ॥ जीवन जी कीजइ जउ निज मन
मोकलउ जी । |म्हां १६ ॥ जी ।
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खरच न बइस एक लिगार हो गुण कहुं एकणि जीभडी केवा करू थांहरा वखाण हो | म्हां ॥
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देवाधिप थांहरा गुण न कही स कह जी ।
तउ बीजउ कुण गुण नउ दाखड़ प्रमाण हो । १७म्हां ।। ढा- ५ आठ टके कंकणउ लीयउ - री नणदी । परकि रह्यउ मोरी बाह । ककणउ मोल लीयउ || एहनी ॥
रूप वण्यउ थांहरउ भलउ रे जिनजी, थिरक रहाउ थिरथंभ | मो मन लागि राउ । अरे इस चुबक लोहा रीति । मो मन लागि रह्यउ । नाभिनंदन सु प्रीतंडी रे जिनजी, चित रही लाग असंभ | १८ मो. | राति दिवस हीयड बस रे । जि। जिम चकवी मनभाग । 'मो. । 'तुझ पास काई मोहणी रे । जि। ताहरइ वसि थया प्राण- ११६मो. ।
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