________________
वीशी
सीमन्धर-जिन स्तवन ढाल-पाटण नगर वपणीयइ । सपी माहेरे म्हारी लषमी
देविकि चालउरे, आपण देपिवा अईयइ ॥ पुंडरीकणी नगरी वपाणीयइ, सपी श्रेयांस घरे जायउ पुत्र रतनकि, चालउरे ।
आपण देपवा जईयइ, नयणे कुमार निहालीयइ ।
सपी कीजड हे एहना कोडि जतन्नकि ॥१॥ साहीलीयउ सुजाण मोरउ जीवन प्राण, सपी कीजइ हे एहनी मस्तकि ।
हे सपी धरियइ आणक्ति वा प्रा।। घरि घरि थया वधावणा, वारू वाजइ हे सपी ढोल नीसाणकि चा।
धवल मंगल गायइ गोरडी,
जोवा श्राव्या हे सपी सुरनर राणकि ॥२॥ योवन प्राप्त प्रभुजी थया, सपी वॉल्हा हे सीमंधर कुमार कि चा।
राय महोच्छन बहु करी, परणाव्या हे सपी रुकमणि नारि कि ॥३॥