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वीसी
• राज्य लीला सुख भोगवी, - प्रभु लीधल हे सषी संयम भारकि ।चा।
समिति गुपति सूधी धरई,
'गामागर हे सपी करइ विहार कि ॥४॥ करम खपाची. घातीया, प्रभु पाम्यउ हे सपी केवल नाणकि ।चा।
समवसरण देवे रच्यउं,
तिहां वइसी हे सपी करइ धपाणकि ॥५॥ इंद्र ऊतारइ आरती, इंद्राणी हे सखी गायइ गीतकि ।चा।
सुरनर ल्यइ सहु भामणा,
__ जोतई जीवउ हे सपी जिणि अादीतकिं ॥६॥ सुंदर सूरति जोवतां, भव भव ना हे सषी जायइ पापकि चा।
ए जिन हरप बधारणउ, टालइ सगला हे सपी ताप संतापकि ।।७।।
युगमन्धर-जिन-स्तवन ढाल-मोरु मन मोबउरे रूडा राम स्युरेः॥एदेशी।। हीयडुमिलिवारे प्रभुजी जइ ऊलसइरे, एतउ जिम चातक जलधार ।