________________
७६
[ जिन सिद्धान्त
प्रश्न -- क्षेत्रविपाकी कर्म की कितनी व कौन कौन सी
प्रकृतियां हैं ?
उत्तर --- क्षेत्र विपाकी कर्म ४ हैं: - १ नरकगत्यानुपूर्वी, २ तियंचगत्यानुपूर्वी, ३ मनुष्यगत्यानुपूर्वी, ४ देवगत्यानुपूर्वी ।
प्रश्न -- पाप प्रकृति कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर -- जो जीव को दुःख देवे एवं अनिष्ट सामग्री की प्राप्ति करावे ऐसी प्रकृतिका नाम पाप प्रकृति कर्म है। प्रश्न - - पाप प्रकृति कर्म कितने व कौन कौन से हैं? उत्तर --- पाप प्रकृति कर्म १०० हैं, घातिया कर्म की ४७, असातावेदनीय १, नीचगोत्र १, नरक आयु १, और नाम कर्म की ५०, ( नरकगति १, नरकगत्यानुपूर्वी १, तिर्यं वयति १, तियंचगत्यानुपूर्वी १, जाति में से आदि ४, संस्थान अन्त के ५, संहनन अन्त के ५, स्पर्शादिक २०, उपघात १, अप्रशस्त विहायोगति १, स्थावर १, सूक्ष्म १, अर्याप्ति १, अनादि १, अयशः कीर्ति १, अशुभ १, दुर्भग १, दुःस्वर १, अस्थिर १, और साधारण १ ) ।
उसे
प्रश्न -- पुण्य प्रकृति कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -- जो जीव को बाह्यमें दृष्ट सामग्री प्राप्त कराये
पुण्य प्रकृति कहते हैं ।