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जिन सिद्धान्त
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अवस्था आत्मा की ग्यारहब, चारहवें गुण स्थान के पहले समय में हो जाती है।
प्रश्न-लेश्या का संवर किसे कहते हैं ?
उत्तर--प्रवृति अर्थात गमनागमन मन्द होकर श्रात्मा की निष्क्रिय अवस्था का नाम लेश्या का संबर है। लेश्या का संवर हुए बाद आँख की पलक मारने मात्र के साल में प्रात्मा सिद्ध गति को प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न-जड़ संवर किसे कहते हैं ? ___ उत्तर-कर्म की १४८ प्रकृतियों में से १२० प्रकतियों को बन्धन योग माना गया है, उन १२०प्रकृतियों का अंश अश में बन्धन छुट जाना उसी का नाम जड संबर है। __अक्ष-मिथ्यात्वका संवर होने से कितनी प्रकृति का बन्ध रुक जाता है ?
उत्तर-मिथ्यात्व का संघर होने ले १६ प्रकृतियों का बन्ध रुक जाता है।
अन्न-वे १६ प्रकृतियाँ कौन-कौन हैं ?
उत्तर--( १ ) मिथ्यात्व, (२) हुण्डक संस्थान, (३) नपुंसक वेद, (४) नरकगति, (५) नरक गत्यानुपूर्वी, (६) नरक प्राय (७) असंप्राप्तास्पारिक संहनन, (८) एकेन्द्रिय जाति, (६) दो इन्द्रिय जाति,
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