________________
जिन सिद्धान्त
.www
___उत्तर-लिंग, कारक, वचन, काल, उपसगोदिक के भेद से जो पदार्थ को मेद रूप ग्रहण करे सो शब्दनय है, जैसे-दारा, भार्या, कलत्र ये तीनों भिन्न लिङ्ग के शब्द एक ही स्त्री पदार्थ के वाचक हैं । सो यह नय स्त्री पदार्थ को तीन भेदरूप ग्रहण करता है। इसी प्रकार कारकादिक के भी दृष्टान्त जानने ।
प्रश्न-समभिरूढनय किसे कहते हैं ?
उत्तर-लिंगादिक का भेद न होने पर भी पर्यायशब्द के भेद से जो पदार्थ को मेद रूप ग्रहण करे। जैसे इन्द्र, शक, पुरन्दर । ये तीनों ही एक एक ही लिंग के पर्यायशब्द देवराज के वाचक हैं । सो यह नय देवराज को तीन भेद रूप ग्रहण करता है।
प्रश्न-एवंभूतनय किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिस शब्द का जिस क्रिया रूप अर्थ है, उसी क्रियारूप परिणमें पदार्थ को जो ग्रहण करे, सो एवंभूतनय है, जैसे समवशरण में विराजमान तीर्थङ्कर देव को तीर्थकर कहना ! प्रश्न-निक्षेप किसे कहते हैं ?
उत्तर-युक्ति करके संयुक्त मार्ग होते हुए कार्य के वश से नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव में पदार्थके स्थापन रूप ज्ञान को निक्षेप कहते हैं।