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जिन सिद्धान्त ]
प्रश्न--ज्ञेय-ज्ञायक सम्बन्ध में और निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध में क्या अन्तर है ?
उत्तर-ज्ञेय ज्ञायक सम्बन्ध में ज्ञेय तथा ज्ञायक अलग अलग क्षेत्र में रहते हैं। ज्ञेय में जनाने की शक्ति है और ज्ञायक में जानने की। ज्ञेय कारण है तद्रूप ज्ञान की पर्याय होना कार्य है तो भी दोनों में बंध-बंधक सम्बन्ध नहीं है, जब निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध में दोनों एक क्षेत्र में रहते हैं, दोनों की विकारी अवस्था है एवं दोनों में परस्पर बंध-बंधक सम्बन्ध है । यह दोनों में अन्तर है।
प्रश्न-उपादान की तैयारी होने से निमिच हाजिर होता है यह कहना सम्यक्ज्ञान है ?
उत्तर-नहीं, यह मिथ्याज्ञान है, अज्ञानभाव है। निमित्त भी लोक का एक स्वतंत्र द्रव्य है, वह हाजिर क्यों होवे । जैसे (१) प्यास लगने से कुा हाजिर नहीं होता परन्तु कुंआ रूप निमित्त के पास स्वयं जाना पडता है।
(२) कानजी स्वामी का प्रवचन सुनने के लिये हमारा उपादान, स्वाध्याय मंदिर में गया तो भी कानजी स्वामी प्रवचन सुनाने के लिये हाजिर क्यों नहीं होते।