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________________ www.mrawrrammar ~ ~ - ~ जिन सिद्धान्त प्रश्न—निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध दृष्टान्त देकर समझाईये ? उत्तर-निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध में दोनों में ही अर्थात् निमित्त तथा नैमित्तिक में समान अवस्था होती है । (१) जितने अंश में ज्ञानावरण कर्म का आवरण होगा उतने ही अंश में जीव का ज्ञान नियम से ढका हुआ होगा। ज्ञानावरण कर्म का आवरण होना निमित्त है और उसके अनुकूल ज्ञान का होना नैमित्तिक है । (२) जितने अंश में मोहनीय कर्म का उदय होगा उतने ही अंश में चारित्रगुण नियम से विकारी होगा। मोहनीय कर्म निमित्त है तद्प चारित्रगुण में विकार होना नैमित्तिक है । (३) गनिनामा नाम कर्म का उदय होगा उसके अनुकूल आत्मा को उस गति में जाना ही पड़ेगा; गतिनामा नाम कर्म निमित्त है तद्रूप आत्मा का उस गति में जाना नैमित्तिक है । (४) जितने अंश में आत्मा में रागादिक भाव होगा, उतने ही अंश में कार्माण वर्गणा को कर्म रूप अवस्था धारण करना ही पड़ेगा; आत्मा का रागादिक भाव निमित्त है और कार्माण वर्गणा का कर्म रूप अवस्था होना नैमित्तिक है । (५) जितने अंश में आत्मा का प्रदेश हलन चलन करेगा, उतने ही अंश में शरीर का परमाणु हलन चलन करेगा। आत्मा का प्रदेश का
SR No.010381
Book TitleJina Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulshankar Desai
PublisherMulshankar Desai
Publication Year1956
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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