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[जिन सिद्धान्त ____ उत्तर–नोकर्म संसार में न होये और उसका भात्र हो जावे, ऐसा हो नहीं सकता तो भी नोकर्म रागादिक कराता नहीं है परन्तु आत्मा स्वयं रागादिक कर नोकर्म को निमित्त बना लेता है।
प्रश्न--चरणानुयोग आदि के कथन की विधि किस प्रकार है ? ___उत्तर--एक मनुष्य के पेट में दर्द हुआ तब चरणानुयोग कहेगा कि दाल खाने से दर्द हुश्रा; करणानुयोग कहेगा कि दाल दस आदमियों ने खायी, दर्द दसों को क्यों नहीं हुआ, अपितु दाल दर्द का कारण नहीं, बल्कि दर्द का कारण असाता कर्म का उदय है। अब द्रव्यानुयोग कहता है कि असाता कर्म का उदय दर्द का कारण नहीं क्योंकि असाता कर्म का उदय गजकुमार मुनि, सुकौशल मुनि को बहुत था, तो भी उनने केवलज्ञान की प्राप्ति की । इससे सिद्ध होता है कि मात्र दर्द का कारण अपना राग भाव ही है असाता कर्म का उदय भी नहीं । तो भी तीन अनुयोग अपनी अपनी अपेक्षा से सत्य हैं और ऐसा तीनों प्रकार का भाव जीवद्रव्य में होता है । इसमें एक अनुयोग छोड देने से जीव एकान्त मिथ्यादृष्टि कहा जावेगा।
प्रश्न-अनेकान्त किसे कहते हैं ?