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जिन सिद्धान्त ]
रचना हुई, इसके अलावा लोक में और कोई पदार्थ है नहीं, और यही कारण है कि अनुयोग तीन ही बने । प्रश्न - द्रव्यकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -- ज्ञानावरणादि ऋष्ट कर्मों का नाम द्रव्यकर्म है । द्रव्यकर्म के साथ में जीवद्रव्य का निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध है ।
प्रश्न -- भावकर्म किसे कहते हैं ?
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उत्तर --- जीवद्रव्य में मोहादि तथा क्रोधादि जो भाव होता है उसी को भावकर्म कहते हैं । प्रश्न - नोकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर - - द्रव्यकर्म तथा भावकर्म को छोड़कर शरीर से लेकर संसार में जितने पदार्थ हैं, जिसमें देव गुरू, शास्त्रादि सभी नोकर्म हैं ।
प्रश्न- तीन अनुयोग के अलावा क्या और कोई अनुयोग हैं ?
उत्तर -- एक औपचारिक अनुयोग है जिसे धर्मकथा अनुयोग कहा जाता है, वह अनादि अनन्त नहीं है । क्योंकि उसमें अनादि की कथा या नहीं सकती, परन्तु परंपरा की अपेक्षा से उसको अनादि कहा जा सकता है। रागादिक भाव
प्रश्न - नोकर्म विना आत्मा क्या
कर सकता है ९