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जिन सिद्धान्त
प्रश्न-संयोग सम्बन्ध से रहित कैसे भात्र होते हैं?
उत्तर-पर के सम्बन्ध बिना स्वयं जीव द्रव्य में शुद्धाशुद्ध भाव होता है उसी को संयोग सम्बन्ध से रहित भाव अथोत् पारणामिक भाव कहते हैं।
प्रश्न-संयोग सम्बन्ध से रहित मात्र को कौनसा अनुयोग स्वीकार करता है ?
उत्तर-इसे मात्र द्रव्यानुयोग ही स्वीकार करता है। प्रश्न--अनुयोग कितन और कनसे बने हैं ?
उत्तर-अनुयोग तीन हैं जो अनादि अनन्त हैं। (१) करणानुयोग, (२) द्रव्यानुयोग, (३) चरणानुयोग ।
प्रश्न- अनुयोग तीन ही क्यों बनाये दो या चार क्यों नहीं बनाये ?
उत्तर-जीन का जायक खभाव है । वह स्वभाव द्रव्यकर्म. भाषकर्म, नोकर्म से रहित है। द्रव्यकर्म के साथ में जीवद्रव्य का किस प्रकार का सन्बन्ध है उस का ज्ञान कराने के लिये करणानुयोग की रचना हुई; भाव कर्म के साथ में जीव द्रव्य का किस प्रकार का सम्बन्ध है इसका ज्ञान कराने के लिये द्रव्यानुयोग की रचना हुई।
और नोकर्म के साथ में जीवद्रव्य का किस प्रकार का सम्बन्ध है, इसका ज्ञान कराने के लिये चरणानुयोग की