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[ जिन सिद्धान्त
दुर्भग, दुःस्वर,
अपर्याप्त, साधारण अस्थिर, अशुभ, अनादेय यशःकीर्ति ये २४ प्रकृतियाँ सान्तर हैं ।
प्रश्न – सांतर - निरंतर बंध प्रकृतियॉ कौनसी हैं ?
उत्तर --- सातावेदनीय, पुरुषवेद, हास्य, रति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति, देवगति, पंचेन्द्रियजाति, औदारिक शरीर, वैक्रिथक शरीर, समचतुरस्रसंस्थान, औदारिक शरीर अंगोपांग, वैक्रियक शरीर थंगोपांग, वज्रवृपभनाराच सहनन, तिर्यंचगत्यानुपूर्वी मनुष्यगत्यानुपूर्वी, परघात, उच्छ्वास, प्रशस्तविहायोगति, त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, आदेय, यशः कीर्ति, उच्चगोत्र और नीचगोत्र ये ३२ प्रकृतियाँ सान्तर - निरंतर रूप से बंधने वाली है ।
( इति जिनसिद्धान्तशास्त्रमध्ये द्रव्य-कर्म अधिकार समाप्त )