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प्रकाशकीय
जैन आचार, तत्त्वज्ञान, इतिहास, पुरातत्त्वादि के अनुसन्धान मे बीर- मेवा मन्दिर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह संस्था ग्रन्थ प्रकाशन एवं 'अनेकान्न' पत्रिका के माध्यम से जनता की सेवा में मतत् संलग्न रही है ।
प्रबुद्ध पाठकों के सुझाव पर 'अनेकान्त' के कुछ लेखों का यह संकलन नए आयामों के विचार में महयोगी होगा। सभी लेख श्री पचचन्द्र शास्त्री द्वारा लिखित और चिन्तनपूर्ण है ।
प्रस्तुत प्रकाशन में विद्वद्वर श्री पं० कैलाशचन्द्र सि० शास्त्री के प्राक्कथन के बाद हमें कुछ लिखना शेष नही रह जाता। पंडित जी ने सभी म्पष्ट कर दिया है । इम कृपा के लिए हम पंडित जी के अति आभारी हैं।
इस प्रकाशन में कम्पोजिंग व छपाई का पूरा व्यय श्री रघुवीरसिंह जन धर्मार्थ ट्रस्ट (जैना वाच कं०) ने तथा कागज-व्यय श्री मुमद्दीलाल जैन बंरी ० ट्रस्ट. दिल्ली ने बहन किया और आवरण-कागज श्री सागरचन्द्र जैन एण्ड मंग के भोजन्य से प्राप्त हुआ। ये उन सभी के धर्म प्रेम और संस्था में रुचि का परिचायक है । हम उनका हृदय में धन्यवाद करते है ।
सुभाष जैन महासचिव, वीर मेवा मन्दिर
२१, दरियागंज, नई दिल्ली-२