SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डाक्टर प्रभाकर माचवे जैनेन्द्रजी का जयवर्धन प्रारम्भिक सन् १९३७ में 'जनेन्द्र के विचार' नामक एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी, जिसका सम्पादन इन पंक्तियों के लेखक ने किया था। उसमें एक विस्तृत भूमिका थी और अन्त में विशद टिप्पणियां भी दी गई थीं। वह पुस्तक अब अप्राप्य है । जैनेन्द्र कुमार पर शोध और अनुसंधान करने वाले तक उस पुस्तक का उल्लेख नहीं करते हैं और उसके विषय में नहीं जानते हैं । बाद में उस भूमिका के कुछ अंश जैनेन्द्र जी के 'मेरे साहित्य का श्रेय और प्रेय' नामक पुस्तक की भूमिका में फिर से छपे हैं। जैनेन्द्रकुमार के साहित्य को पढ़ने और उसका रस ग्रहण करने वालों को उपर्युक्त दोनों पुस्तकें अवश्य पढ़नी चाहिये। जैनेन्द्रकुमार पर एक निबन्ध मासिक 'हंस' में स्वर्गीय प्रेमचन्दजी के आग्रह पर मैंने सन् १९३६ में लिखा था, जो जीवनसुधा में यशपाल जैन ने पुनर्मुद्रित किया । वह भी इस दृष्टि से विद्यार्थियों को पढ़ना चाहिये कि लेखन और लेखक के बीच में जिस इकाई की जरूरत इधर अधिकाधिक अनुभव की जा रही है उसका उत्तम प्रमाण उस लेख में दिखाया गया था। 'त्याग-पत्र' के मराठी अनुवाद की भूमिका में मैंने जैनेन्द्रकुमार के उपन्यास पर पुनः एक लेख मराठी में सन् ४१ में लिखा और दो वर्ष पूर्व 'इलस्ट्रेटेड वीकली आफ इण्डिया' में 'माई फेवरिट पाथर' सीरीज में एक अंग्रेजी लेख मैंने लिखा । यह पंक्तियाँ उन पाठकों के लिये लिखी जा रही हैं, जिन्होंने यह सब न पढ़ा हो। जिन्होंने पढ़ा हो उन्हें शायद द्विरुक्ति दिखाई दे, ऐसे पाठकों के प्रति क्षमा-प्रार्थी हूँ । जैनेन्द्रकुमार का जीवन जैनेन्द्रकुमार के जीवन में कोई असाधारणता नहीं। अलीगढ़ जिले में कौड़ियागंज में १६०५ में जन्म, शिक्षा ब्रह्मचारी आश्रम जैन गुरुकुल में । सबसे बड़ा प्रभाव उनकी माता का जान पड़ता है, जो बड़ी समाज-सुधारक और धर्म परायण स्त्री थीं । दूसरा प्रभाव कच्ची उम्र में सत्याग्रह संग्राम में शामिल होकर जेल जाने का है । तीन बार जेल गये । गांधी, टालस्टाय, शरद, दस्तावस्की-ये प्रिय लेखक पढ़े और उनका प्रभाव उन पर पर्याप्त मात्रा में है। गांधी नीति को उन्होंने अपने जीवन का एक अनिवार्य अंग बना लिया है-या यों कहें कि अपने जीवन और ( ३८ ) ।
SR No.010371
Book TitleJainendra Vyaktitva aur Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaprakash Milind
PublisherSurya Prakashan Delhi
Publication Year1963
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy