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जैनेन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व "विवाह की ग्रंथि दो के बीच की ग्रंथि नहीं है, वह समाज के बीच की भी है । चाहने से ही क्या वह टूटती है ? विवाह भावुकता का प्रश्न नहीं, व्यवस्था का प्रश्न है ? वह प्रश्न क्या यों टाले टल सकता है ? वह गांठ है जो बंधी कि खुल नहीं सकती, टूटे तो टूट भले ही जाय । लेकिन टूटना कब किसका श्रेयस्कर है ?"
और, 'कल्यागी' के लेखक जैनेन्द्र के अनुसार, कल्याणीवाद के अनुसार, "समाज का सत्य वह है जो दो को एक करता है-वह विवाह है, जो दो की दुई को अलग-अलग पुष्ट करती है, ऐसी प्रेम की स्वतंत्रता अनिष्ट है।"
उद्बोधन की रस दृष्टि में भीगी ये पंक्तियां स्वयं बोलती हैं, किन्तु विवाह के प्रति जैनेन्द्र जागरूकता के क्या कारण हैं ?
पुनः जयन्त की याद आती है। हां, जयन्त यह स्वीकार कर लेता है कि उसके भीतर बरफ की सिल का प्रासन डाले कोई अमानव था । जयन्त का बहुत बड़ा हिस्सा इसी अमानव के शासन में रहा है ।
विवस्त्र होने में क्या सुख है ? आनन्द है ? दांत मिसमिसाकर झटके से तन के अंतिम वस्त्र को भी उतार कर पति कहलाने वाले व्यक्ति के मुंह पर जोर से फेंकने में क्या नारी को सुख मिल सकेगा? चन्द्रकला व्यतीत में ऐसा करती है और पति के नाम से सम्बोधित व्यक्ति ने वस्त्र को जल्दी से हाथों में रोककर आगे बढ़कर चन्द्री अर्थात चन्द्रकला को हाथों में उठाया और हठात् बिस्तर में दुबका दिया । चन्द्री ने प्रतिरोध किया-कोमल प्रतिरोध । और पति कहलाने वाला व्यक्ति बाहर निकल पड़ता है-चांद का सेवन करने ।
व्यक्ति की किस अवस्था को यह इतिवृत सूचित करता है, सहसा कहा नहीं जा सकता।
चन्द्री अर्थात् चन्द्रकला का सबसे बड़ा दोष यह है कि वह जयन्त के प्रति निर्दोष है । निर्दोषिता ही उसका दोष है । जैनेन्द्र की नारी पुरुष का बोझ नहीं होती.। उसमें प्रात्म-पीड़न और स्वाभिमान है।
__ जयन्त की युद्ध-स्वीकृति कर्मठता नहीं, पलायन है, कर्तव्यता के अर्थ का बलास्कार है । जयन्त केवल एक व्यक्ति कहा जा सकता है । सम्यक मनुष्य के नाम से सम्बोधित होने का अधिकार क्या उसे दिया जाय - यह प्रश्न विद्वानों का है।
उत्तरार्द्ध जयन्त का युद्ध के प्रति जागरूकता वस्तुत: उसके नारी-विकर्षण पौर निष्क्रिय पलायनवाद की प्रतिक्रिया है, जिसका परिणाम जयन्त का साधुवेश ग्रहण कर लेना हुआ । जयन्त ने कर्म का गीतावाद नहीं कार्यान्वित किया । जयन्त ने जीवन-प्रयत्न नहीं किया । जयन्त व्यक्तिमत्ता की दिशाहीनता से पीड़ित है, व्यक्ति