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जैनेन्द्र : व्यक्तित्व और कृतित्व
से सम्बन्ध रखता है । लेखक गाँधीवादी नहीं, किंतु 'सुखदा' में गांधी - संरक्षणत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन का श्रव्यक्त रूप से महत्व प्रतिपादन करता है, क्योंकि सुखदा अभिव्यंजन में क्रान्ति का दल सफल नहीं हो पाता । वह मूलतः स्वयं गांधीवाद स्वीकार नहीं करता । हरीश का आत्मसमर्पण हरीश का उज्ज्वल बलिदान नहीं, उसकी कालिमामयी पराजय है, अपने प्रति छद्मवेशी प्रतिक्रियावाद है ।
'गाँधी की प्रांधी' शब्दावली का प्रयोग कर देने से ही कोई लेखक गाँधीवादी नहीं हो जाता । 'सुखदा' में 'गाँधी की आँधी' शब्दावली, 'परख' की प्रथम पंक्ति और 'कल्याणी' में गाँधी शब्द प्रयुक्त हैं । गाँधी जैसी महान सत्ता के प्रति इतना अभिव्यक्त कर देना ही लेखक को गाँधीवादी नहीं बना देता ।
जैनेन्द्र-शिल्प - अभिव्यंजन में 'सुखदा' श्रात्मचरित के रूप में लिखा गया उपन्यास है । 'सुखदा' उपन्यास सुखदा का उपन्यास तो है ही, राजनीतिक क्रान्ति से. सम्बन्ध रखने वाले उग्र दल के साथ इसका सम्बन्ध जोड़ दिया गया है, जो जैनेन्द्र की पुरानी आदत रही है। क्योंकि, जैनेन्द्र कथात्मकता के क्षेत्र में एक सीमावादी लेखक हैं ।
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विवर्तवादी उपन्यास 'विवर्त' जैनेन्द्र का एक ऐसा उपन्यास है, जो उग्रपंथी तथाकथित क्रान्तिकारियों की सजग पृष्ठ भूमि में पुरुष और नारी के कुछ भाग करे, जाहिर करता है । भुवन मोहिनी नायिका है - 'विवर्त' की, विवर्तवाद की विवर्त वृत की । जितेन भुवन मोहिनी का प्रतिक्रियावादी आकर्षण - पुरुष है। नरेश भुवन मोहिनी का पति है । मुख्यतः इन्हीं तीन पात्रों के इर्द-गिर्द यह उपन्यास घूमता रहा है ।
'विवर्त' जीवन के उग्र-पंथ को प्रतिपादित करता है - जीवन में तोड़-फोड़ और तब उसकी प्रतिक्रिया जैनेन्द्रमार्गी प्रतिक्रिया - श्रात्मसमर्पण, जानबूझ कर किया गया श्रात्मसमर्पण, मुक्ति का श्रात्म-समर्पण ! उग्रवादी जीवन- पुरुष के मुक्ति-समर्पण के द्वारा किस जीवन-सौष्ठव का मार्ग-दर्शन जैनेन्द्र ने प्रतिपादित करने का प्रयास किया है, मैं कह नहीं सकता ।
भुवनमोहिनी जितेन पर खुल गई - " मैं सब कुछ हूँ तुम्हारी ।"
जितेन ने पूछा - "और पति की ?"
"पत्नी..
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यह जैनेन्द्र के पुरुष और नारी का मार्ग-दर्शन है, जिसका प्रतिपादन जैनेन्द्र नेवितं वृत में किया है। जाहिर है, इस प्रकार के चरित्रों को पूर्णता में समझने के लिए उनके पूर्व इतिहास का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करना अनिवार्य है ।
जितेन तिरेसठ व्यक्तियों की मौत और दो सौ पन्द्रह व्यक्तियों के प्राहत