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अभिलाषा है कि माता बनने से वह बची रहे और पुरुष के प्रति उसका प्रेयसी रूप ही प्रतिष्ठित रहे 149
इस प्रकार स्पष्ट है कि जैनेन्द्र की दृष्टि में स्त्री मातृत्व से रहित होकर स्वयं में अपूर्ण रहती है। जैनेन्द्र के उपन्यास और कहानी में मातृत्व की तीव्र इच्छा दृष्टिगत होती है। पति का अतिशय प्रेम और सहानुभूति प्राप्त करके भी स्वयं अभावग्रस्त रहती है । मातृत्व में ही उसकी पूर्णता है जो रूखे प्यार से उपलब्ध नहीं होता। 'ग्रामोफोन का रिकार्ड' और 'मास्टर जी' में नारी की विक्षुब्धता वात्सल्य भाव की पूर्ति के बिना ही उत्पन्न हुई है। मातृत्व के साथ ही जैनेन्द्र की कहानियों में वात्सल्य भाव की भी अभिव्यक्ति हुई है । इस दृष्टि से उनकी कई कहानियाँ जैसे 'फोटोग्राफी' आदि मुख्य रूप से उल्लेखनीय हैं। जैनेन्द्र ने व्यक्ति और समाज के विभिन्न पक्षों को अपने कथा साहित्य में स्वयं के विचारों और आदर्शों की छाया में व्यक्त किया है।
49 जैनेन्द्र कुमार
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कल्याणी, पृष्ठ - 71
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