________________
कोरा काल्पनिक साहित्यकार उसकी अपनी प्रकृति के विरूद्ध होगा। एक विदेशी कवि की काव्य रचना का आनन्द हम उठा सकते हैं, क्योकि वह कल्पना जगत की वस्तु हैं। उसमें सूक्ष्म मनुष्य के मन की अभिव्यक्ति होती है किन्तु विदेशी साहित्यकार की रचना समझने में समस्या उत्पन्न होती है, क्योंकि उसमें उसी के हर तरफ का अर्थात अपने से अलग जीवन चित्रत रहता है और उससे हम अनभिज्ञ रहते हैं।
निष्कर्ष यह है कि कथा साहित्य सामाजिक चेतना का प्रतीक है। कथा साहित्य एक ऐसी कला है जो यथार्थ की प्रतिच्छाया होती है। वह तो जीवन का पुन: सर्जन है, क्योंकि जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन इसमें होता है। कथाकार के माध्यम से मिलने वाला जीवन परिवेश एवं उसका यथार्थ ही उसमें महत्व प्राप्त कर पाता है। सामाजिक चेतना का कलात्मक रूप कथा साहित्य है, जिसके फलस्वरूप साहित्यकार अपने समाज के अलावा किसी अन्य का चित्रण नहीं कर सकता। कथाकार को अपनी स्वाभाविकता एवं सच्चाई बनाये रखने के लिए देश काल एवं वातावरण को ठीक प्रकार से चित्रित करने के लिए, युग चेतना का अपना अलग महत्व है। इसकी सहायता से कथा साहित्य में नवीन परिवेश एवं नवीन आयामों को आत्मसात् करते हुए प्रगतिशील भाव-जगत पर जीवन की समग्रता को साहित्यकार चित्रित करता है। काव्य की अपेक्षा कथा साहित्य में युग चेतना की अभिव्यंजना सरलता पूर्वक हो सकती है, क्योंकि कवि तो सपनों का निर्माता होता है और भावानुरूप शब्द शिल्पी भी, जबकि कथाकार यथार्थ जगत का यथार्थदर्शी होता है। साहित्यकार का कर्तव्य होता है कि सामाजिक सत्यता को देखे, परखे और विश्लेषित करे। प्रतिभा के धनी श्रेष्ठ साहित्यकार यही करते हैं।
[27]