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व्यवहार, कोई विशेष मानसिक क्रिया सम्पूर्ण चेतना से वियोजित हो जाती है, पर व्यक्तित्व के लिए गम्भीर समस्या नहीं उठती। पर यदि अधिक मात्रा में हो तो बहुव्यक्तित्व, खण्डित-व्यक्तित्व आदि रोग हो जाते हैं।
___ 'चेतना' शब्द का उपयोग प्रायः उपर्युक्त मनोवैज्ञानिक अर्थ में होता हैं, पर कभी-कभी इसका प्रयोग दार्शनिक अर्थ में भी हो सकता है। विज्ञानवादी और प्रत्ययवादी दार्शनिक चेतना या विज्ञान को शाश्वत और एकमात्र सत्ता मानते हैं। इस अर्थ में 'चेतना' शब्द 'आत्मा' का समानार्थक हो जाता है, परन्तु साहित्य में और दर्शन में भी इस अर्थ में प्रायः 'चैतन्य' शब्द का प्रायोग किया जाता है। 'चेतना 'शब्द सामान्य मनोवैज्ञानिक अर्थ में ही अधिक आता है।
चेतना की मुख्य विशेषता है-लगातार परिर्वतनशीलता अथवा वेग के साथ-साथ विभिन्न अवस्थाओं में एक अविच्छिन्न एकता और साहचर्य। इसी सन्दर्भ में डॉ० राम प्रसाद त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किए हैं
"चेतना' स्वयं को और अपने आस-पास के वातावरण को समझने तथा उसकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। किसी विशेष युग की अपनी मौलिक चेतना हुआ करती है जो युगों के परिवर्तन के साथ-साथ अपने कलेवर को भी परिवर्तित किया करती है। साहित्य में युग की परिस्थितियाँ और समाज की चित्रवृत्तियाँ प्रतिबिम्बित हुआ करती हैं।
1. हिन्दी साहित्य कोश भाग-1 सम्पादक डॉ०-धीरेन्द्र वर्मा, पृष्ठ - 247 2. डॉ. राम प्रसाद त्रिपाठी-हिन्दी विश्व कोश, पृष्ठ - 282