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इसमें अन्य पात्रों में शीला का भाई, मृणाल का पति और कोयले वाला ये तीनों पात्र अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। शीला का भाई यौवन की भावुकता का, मृणाल का पति सन्देह का तथा कोयले वाला वासनाभिभूत यथार्थ के प्रतीक हैं। शीला का भाई मृणाल से प्रेम का दम भरने पर भी उसके लिए त्याग करने का साहस नहीं करता। मृणाल का पति शक्की स्वभाव और निष्ठुर व्यक्ति है। मृणाल विवाह के पश्चात् पतिव्रत्य धर्म के नाते पति-पत्नी के एकत्व को स्थापित करते हुए अपने और पति के मध्य के सब आवरणों को हटाने का प्रयत्न करती है। परन्तु उसका पति मनोवैज्ञानिक दृष्टि से बहुत स्वार्थी और बेईमान प्रकृति का है। वह उसे कभी भी शान्ति नहीं देता, बल्कि मारता-पीटता है। कोयले वाला वासनाग्रस्त व्यक्ति है। मृणाल की कमजोरी का लाभ उठाकर उसे सहारा देने के बहाने उसके साथ अपना सम्बन्ध स्थापित कर लेता है। मृणाल स्थिति के प्रति चैतन्य है, क्योंकि उसने कभी यह आशा ही नहीं की थी कि वह कोयले वाला उससे निभा पाएगा, किन्तु फिर भी वह उसके प्रति आभारी है, परन्तु कोयले वाला मक्कार पुरुष है। कुछ कारणों से अपने परिवार से दूर वह मृणाल का भोग करता है और मौका पाकर वह चुपचाप अपने परिवार में लौट आता है। मृणाल ने उससे कोई छल नहीं, किया, पर वह छली सिद्ध होता है।
डॉ० असरानी "कल्याणी' का एक मात्र प्रभावी पुरुष पात्र है। प्रारम्भ से ही वह बड़ा दम्भी और लम्पट है। स्वार्थ और अविश्वास में लगातार जलता हुआ वह सन्देह में फँसा सदैव अपनी अति सफल डॉक्टर पत्नी के विषादोन्माद का कारण बनता है। सर्वप्रथम उसने कल्याणी पर झूठे आरोप लगाकर बदनाम किया और फिर स्वयं सहानुभूति का बहाना करते हुए कल्याणी के माता-पिता के पास विवाह का प्रस्ताव रखता है। मनोवैज्ञानिक चेतना के कारण डॉ० असरानी हीनता-ग्रन्थि का शिकार था। उसकी लम्पटता, दम्भ, स्वार्थ
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