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जैनेन्द्र को महानिया दरायो भाग
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सब तरह की निन्दा और गुरमा तुम्हारे मन मे डालता रहा, महू मे तुम्हें सच मे ऊपर उठाने को गोच रहा होगा ? का नहीं है, कि तुम देग लो कि प्यार के नाम पर जो तुम सोगों ने पैदा कर लिया था, उसमे यही गोरे याता न भी, और यह एक कोरा झूठ पा ? तुम बाघ पर उसी को हो । निस पर मुट्टी वाथी है, सोलकर जग देखो कि क्या उगे उन कुछ है भी एक बार बतामो | पासपोर्ट बनने पर तुम लोग सात जाने वाले ये ?"
रहना
"फोरन चले जाते ।"
"मानं मे ही ?"
"हा, शुरु मार्च मे ।"
"का गया होने वाला था "जी ?"
"में उनकी हालत जानना है | पाच हजार का भी इनजाम लिए माना नहीं है। उसे वही उधार नहीं मिलेगा। फिर मह पर यह मामला ? यहि पढ़म्हातारी
या मुली वेढे,
नरोमा था, जो सुन पारंगी, तुम्हारे बाबु जी
चुही, कि तु कभी तुम्हें उस नहीं
कि कुछ होगा, कहा
मेइन
हो
दूरी नहीं हो नहीं गयी
माना दोनों चीजों को
ऐसा
होगा और
समाज में
किपरियार गनाएगा।
भी
मैंने है। ईश्वर प्यार में है
नहीं माना है ।
।
दिया जाए।
है,
नहीं है।
#
पर
मेला
है
और नामोहर