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जैनेन्द्र की कहानिया दनमा भाग महीन' में निम्ना । नाताया, और न गती है । बहीन?"
"करी, नहीं, नही। . ."
"मैंने नोट नहीं गिने, यही न? में झूठा हूं और तेरे नाममा नहीं हूं, यही न?"
प्रतिमा उठार उनी चरणों में लिपट गई। बोली, "ती, नहीं ! थे, गर । पिनी ने चुन लिए । भव तुम सो जामी।" ___ नमो में पटी पत्नी गो जोर गे लात मारपर उसने दूर पर दिया । यहा, "मैं भूला नहीं है, समवरन दोलेटर औरत सममी है क्या ?"
रान गरी भी घोर लेन्द्र में सून उतर पाया था पोर
नागा, तब मेनेन्द्रमा मरितकाम्प नहीं है। नही गलत जिनोमाति भी। प्रस्नूबर '६१