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यथावत
"भागलपुर ?"
"हा, वखत देरा के बता कि रेल कब-कब जाती है ? और ले यह ज़रा दो टिकट वहा के ले आ।" __जगरूप ने फिर मा को देखा । भागलपुर दूर जगह है और काफी खर्चा होगा। भागलपुर का कभी उसने जिक्र नहीं सुना है--फिर यह मा को क्या हुआ है ? लेकिन उसकी मा के चेहरे पर कुछ वह था कि जिसके आगे प्रश्न का अवकाश नही रह जाता है । ___ वह रेल मे जा रहा है और उसे कुछ नही मालूम है । मा चुप है
और एक शब्द नही बोलती है । उसने बार-बार प्रश्न किया है और मा ने मानो सुना तक नही है । मा की दृष्टि स्थिर है और उसमे कोई गति नहीं है । जगमोहन अपने सामान मे फारम वगैरह लेता आया है । उसके मन मे है कि भगवान काम कर रहा है। भगवान के अजव ढग है । लेकिन मा को देखकर उसे सशय होने लगता है कि सब ठीक है कि नहीं। मा से एक भी शब्द पाना उसके लिए सभव नही हुआ है । यह सब उसके मन को हिला देता है। उसे आगे पढना है और जरुर पढना है । लेकिन मा को क्या हुआ है ?
भागलपुर गाडी वडे वेवक्त पहुची थी । रात को उतर कर मावेटे मुसाफिरखाने मे सो गए और सबेरे उठने पर मा ने कहा, कि बेटा तुम सामान के साथ ही सावधानी से रहना । यह पैसे लो, कुछ खा-पी लेना । मै अभी थोडी देर मे आती है। ___मा की वही मुद्रा थी और जगरूप कुछ भी उनसे पूछ नही सका। पूरा दिन अभी नहीं निकला था और मा पाव-पैदल उसके सामने से बढती चली गई और वह उन्हें देखता सामान के साथ बैठा रह गया !
मनोरमा ने कुछ दूर चलने पर रिक्शा लिया और पूछती हुई वह सोचे भागलपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के बंगले पर पहुची । वहा उसको प्रवेश तो मिल सका लेकिन मालूम हुआ कि साहब को डेढ-दो घटा लग