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जीना-मरना
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हो रहा है।
जन्मोत्सव में जन्न को शोमा निराली थी। बीच में दीप-न्तम्भ पा। और उसमे उन महाप्राण प्रायु मे वों की गिनती के अनुसार चार स्तरों पर दीप गजाये गये थे। सात मे तीस वर्ष तक कन्याओं की तीन अलग-अलग नृत्य टोलिया थी। इसी अदमर के लिये बनाई गई कविता के भागार पर मिगुपो की नृत्य रचना की गई थी। वटा सुन्दर दोगता पा, उन यातिगामों का परिधान । अन्त में गरबा नृत्य तुग्रा था। उसकी मनोदरता मे हम सभी विभोर हो पाये थे । लीनाघर मन्त्रमुग्प से दस गोमा पो निहारते रहे । लोगो में वटा उत्साह था और दृश्य अत्यन्त मनपा ।
मीनापर मध्य में बैठे थे घोर समधा नृत्य-बाध का एक कार्यक्रम चल रहा था। इतने में बराबर में शा० मेहरा गा प्रागमन हुमा । लीला. पर घोप्रिय मा मिसागर स्वय उनकी तरफ पा रहे है । उन्होने पूछा कि गोरल का क्या हाल है? नीनायर ने रहा कि संगल ही नागा । सदया गया पा, पापर उसने बताया था कि तश्वित में गधार होगा।
मेरा ने पहा, "वही गुमी को वान । भने म एम में माजमनियामागीप नहीं दिया परने सनीलिए दिया गया गार पर फिर दोनीन रोज में हिस्सा मित सवैगा, ऐला
मे महिनो मेनोपमान परमा! "श्री. र मानही वीमी फार गई। दो गेल में धारा जायेगा।" पर रामामार
मार मार में पर आरो WRITERTrir TET परशुरामा काम wer ATM मा नारा मना !
माना ना ना बनेगा !