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छ, पप, दो राह
पर महाग टाल सके । क्या उमे कभी पत्नी को धावश्यकता न होगी जो प्रेयनी न हो, दानी भी हो ! मागिया न हो, गासिता भी हो । ज्या तुम उसे वादे गाती हो? पत्नित्व दमकती हो? कभी बात गर क्षेगो, पूछ देगो ! पालोग वर्ष ने ऊपर पी पत्नी को नीर वर्ष पो धम्या में यह स्वीकार गरेगा?
मैं स्वप्न को बहल मानता ! माया को भी मानता है ! मानता पहना काही मनोरम प है। यही व्या है । मन रुप मे वही मत्य भी है। लेकिन माया दगेगी घोर फटेगी तो क्या ोगा ? भ्रम गम नग पायेगा तो यया होगा?
गया उग रोज की याद दिलाऊ : तम पाई थीं और रो रही थी। में किसी तरह तुम्हें सान्त्वना नहीं पहुंचा सका या । सान्निर तुम्हारा जाट गही तो था कि यह तुममे तुमको नहीं, जाने किगको पाता है ? मुम पर प्रगट हो माया पाकि जगतीरोज जिसके लिए है, सनी वह मूरा उगममे दीपनी गाठिन हो जाती है और उसपो माग नुमंग
पार गर दौटने लगती है। दिमन, ऐना होगा और उसे समय बीतेगा चार-गार होगा ! बहुत बार होगा और चार तुम्गो रोना पगा। मैं समा में पोज महीं इस हर तक न पहने कि जहा प्यार है, यहा नफरल हो पाए । मुभसे यह र दर नही होता है। यग हरगिर नहीं पारा किया पर तुम पेमाहो, मगर ना निकर होन. र पोरन समा गोमारामती ना !
प्यार की होमो, गा गुमको बरको छोयो, पर भी सामना है! निसार
पोरन जिगरनामे लगा सीमाली नया होगा?
चा ? पर म ग मग मी मामा फिगर ::
༑ ཁ } ཨཱརྣམས༔ ཙ st, , ཝཱ ཨཱཙྪ༔ བཙྩམ་?