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मौत की कहानी लगभग तुरन्त चाचा वहाँ आ गये। पूछने लगे, "क्यों क्या हुआ ?"
उस समय मेरे दिल में एक साथ कैसी विनीत याचना और कैसे दुढ़ विश्वास के भाव का उदय हो पाया था, वह सब-कुछ मेरी आँखों में पा रहा होगा। मैंने वाणी को बिलकुल स्थिर बनाने की चेष्टा करते हुए कहा, "हुआ कुछ नहीं है। जरा जी मिचलाता है ।" फिर लेटे-लेटे, बराबर की खाट पर बैठे और हैरान होकर मुझे देखते हुए चाचा के चेहरे पर अपनी उस समय की आँखों को भरपूर जमाकर और उनके दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर मैं उनको देखता रह गया।
चाचा ने घबड़ाकर कहा, “ऐसा क्या हुआ है ?" मैं फिर आँख नीची करके रोने लगा।
चाचा ने अपने हाथों को उसी तरह मेरे हाथों में रहने दिया और वह मेरी ओर देखने लगे। ___ मैं उन्हें किस तरह से कहूँ, कि मैं यहाँ कुछ मिनटों के लिए और हूँ। और उन मिनटों में वह जल्दी करके इस भतीजे को प्यार कर लें और डालचन्द आदि को बुला दें; क्योंकि उनका भतीजा इन मिनटों में यहाँ की धरती को स्वर्ग बनाकर चल देना चाहता है। ज्यादा समय उसके पास नहीं है।
में उनके दोनों हाथों को मींज-मींजकर कभी अपने गाल के नीचे करके और कभी आँखों के पास फेरकर खूब रोने लगा।
उन्होंने कहा, "अरे, बात क्या है, क्या बात है ? कुछ कह भी।" में कह क्या पाता ? सिसक-सिसककर रह जाता।
कुछ देर बाद मानों अपने आपसे कहा, "ठहरो, डालचन्द से जाकर कहता हूँ। अभी साइकिल पर चढ़कर शहर से डाक्टर को बुलाकर लाए। लड़का रो क्यों रहा है, जाने क्या हो गया है।"
फिर वह तेजी से उठकर अन्दर को चले गये। हाय ! चाचा, तुम डालचन्द को कहीं मत भेजो और डाक्टर को