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... मौत की कहानी ... मैंने कहा, "हम लोग उसके पीछे इतनी बड़ी-बड़ी बातें बनाते हैं। खतम कर देंगे, यह कर देंगे, वह कर देंगे। सामने जब वह आ पहुँचेगी, तो मुह से बात भी न निकलेगी।"
प्रेमकृष्ण ने कहा, “वाह, मौत की क्या बात है ! सैकड़ों हँसते-हँसते मर जाते हैं । कैसा मलाल, कैसा दुःख, ज़रा कुछ भी जो उन्हें खयाल होता हो । पर ऐसा वही कर सकते हैं, जो जिन्दगी का लुत्फ उठाना जानते हों। वही मौत का भी मजा ले सकते हैं।"
फिर बात चली, कि किसी ने मौत देखी भी है या नहीं। आमनेसामने देखी हो, यह नहीं कि किताबों में पढ़ लिया, या दूसरे को मरते देख लिया।
सब सहमत हुए कि भय नाम का देव, है सचमुच बड़ा डरावना।। और सोचने लगे कि वास्तव में वह किसी अस्त्र-शस्त्र से आदमी को नहीं मारता, दरअसल मारता ही नहीं, प्रादमी उसे देखकर डर के मारे पाप ही मर जाता है।
एक हमारा मेम्बर है प्रमोद । इस स्थल पर वह भी आ पहुँचा। हम सब लोगों को बड़ी खुशी हुई। पूछा, "तुम तो कलकत्ते थे, कब आये ?"
..उसने कहा, "बस, आ ही रहा हूँ समझो। सोचा, शाम का वक्त है, पहले आप ही लोगों से मिल लू, फिर और कुछ करूँगा ।....क्या बातचीत है ?"
प्रेमकृष्ण ने कहा, "बड़ा झमेला आ. पड़ा है । सवाल यह है कि किसी ने म्याऊँ का ठौर पकड़ा है।"
लगभग साथ ही मैंने कहा "बात यह है कि मौत का मामला है । यह जानना है कि किसी ने उसे आमने-सामने देखा है । तुमने इतना सब-कुछ देखा; पर इसे भी देखा है ?"
प्रमोद ने कहा, "आप लोगों को शाम के वक्त यहाँ क्लब में मौत