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सोद्देश्य
"मुसोलिनी गिरफ्तार हो गया, में कहता न था !" ब्रजकिशोर ने कुमारी वीणा से कहा ।
वीणा कविता लिखती है और ब्रजकिशोर वक्तृता देता है | वीणा बोली, "तो फिर ?"
"तुम कहती न थीं कि हिटलर-मुसोलिनी, स्वयं में जो हों, भविष्य की दिशा में रक्खे गए दो कदम हैं । बोलो, अब क्या कहती हो ?"
"रूस, ब्रिटेन और अमरीका के हाथ राजनीति का धर्म-काँटा है, यह मैं नहीं मानती । नहीं, यह में नहीं मान सकती । फिर साथी राष्ट्र एक हैं, तो युद्ध को लेकर । भीतर से वे एक नहीं हैं । इससे राजनीति के राज में और नीति में किसको किसका गुरु माना जाय ?"
साथी व्रजकिशोर ने कहा, “ फासिज्म का अन्त निकट है। तैयार रहिए, कब खबर श्रा जाय कि हिटलर भी पकड़ा गया । हारने से पहले अपने भीतर की फूट से ही वे टूट रहे हैं । यह तो होना ही था। मानवता के शरीर पर का यह फोड़ा कब तक न फूटता !"
वीणा हँसी'। बोली, “आज मुसोलिनी ने मुझे बचा लिया, नहीं तो मेरी मुसीबत थी कि नई कविता दिखाऊँ !”
"हाँ," ब्रजकिशोर ने कहा, "वह तो दिखानी ही होगी । क्रम आप
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