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राजीव और भाभी
राजीव मुग्ध-सा देखता रहा । फिर एक साथ भाग प्राया ।
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४७.
यह बीस वर्ष बीते की बात है । मुझे राजीव कल मिला था । कहता था, उस दिन के बाद कल दोपहर ही उसे वह भाभी मिली थीं। सराय- बाज़ार में जो राजीव की जायदाद में दस-दस रुपये वाले क्वार्टर हैं, उन्हीं में एक अपने लिए लेने के सिलसिले में वह उसके पास आई थीं। वह अब बुढ़िया है। राजीव को विश्वास है, भाभी ने उसे पहचान लिया है । किन्तु किसी पहचान का जिक्र उन दोनों के बीच में न हुआ, और राजीव ने अन्त में कहा कि क्वार्टर नहीं दिया जा सकेगा । उन भाभी के सम्बन्ध में अपने को जायदाद वाला पाए, समझे, क्या यह दंभ राजीव से झेले झिलता ? इससे कहीं अधिक सह्य तो उसे निष्ठुरता ही हो सकी, इससे निस्संकोच उसने कहा कि क्वार्टर कोई खाली नहीं है ।
कल ही मुझे राजीव ने छुट्टी दी है कि उसकी कहानी के साथ में इच्छापूर्वक व्यवहार कर सकता हूँ । सो यह पेश है ।