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धरमपुर का वासी
१५६ विद्वान् ने हँसकर कहा, "वह कोयले की आग खाता है और कालिमा छोड़ता है।" __ करमसिंह को इस वर्णन में बहुत दिलचस्पी हुई । उसने कहा, "वह एंजिन बहुत शक्ति-वाला होता है ?"
विद्वान् प्रसन्न थे, क्योंकि पुरातन वय का अबोध बालक उनके सामने था। यह सब उसे परियों की कहानियों के समान था। बोले, "आदमी नाज खाता है, फल खाता है, फिर भी उसमें थोड़ी शक्ति होती है। घोड़े को दाना देते हैं और उसमें दस
आदमियों जितनी शक्ति है ! एंजिन कोयला खाकर बीसियों हार्सपावर से भी ताकतवर होता है।"
"हार्स-पावर ?"
कुछ अधीरता, फिर भी प्रसन्नता से विद्वान् ने कहा, "तुम पुरातन हो, इससे नहीं जानते । हार्स-घोड़ा पावर-शक्ति । लाखों हार्स पावर के एंजिन दिन-रात चल रहे हैं। यह चारों तरफ नहीं देखते ? अनगिनत हार्स-पावर के जोर से हमने यह इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन किया है।"
करमसिंह ने कहा, "और आदमी ? उसकी शक्ति ?" विद्वान् बोला, "आदमी नगण्य है। एक एंजिन पाँच सौ आदमियों के बराबर है। तब फिर आदमी क्या रह जाता है ? जिस के बस दो हाथ हैं, वह अंक से भी कम है । जिसके ये है, वही यहाँ टिक सकता है।" कहते हुए दाहिने हाथ की तर्जनी से विद्वान् ने अपना मस्तक बताया।
करमसिंह घबराकर बोला, "भगवान् के दिये दो हाथ और उनका श्रम कुछ भी नहीं है ?"
विद्वान् हँसे। बोले, "हाथ भगवान् ने बनाए हैं। एंजिन