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चोर
डपटती हूँ, तो वह सचमुच चला जाता है । मैं डरती हूँ कि घर के बाहर इधर-ही-उधर तो वह नहीं भटक रहा है । पर नहीं, वह सीधा साथियों में जाता है और खेल कर काफी देर में लौटता है । एक बात देखती हूँ। शाम को निबट कर हम चार जनीं बैठ कर बात करती हैं, तो वह भी पास बैठा हुआ दिखाई देता है । वह कुछ नहीं बोलता, चुपचाप सुनता रहता है । मुझसे सटकर भी नहीं बैठता और न कभी गोद में लेटने की ही चेष्टा करता है। अपने अलग-अलग गुमसुम बैठा रहता है। __ आजकल दिन बड़े खराब हैं। गेहूँ ढाई सेर का भी मयस्सर नहीं है। दूध के दाम घोसी ने परसों से आठ आने सेर कर दिए हैं । शाक-भाजी के बारे में के आने से कम की बात ही नहीं कीजिए । लौकी और कदू दोनों उन्हें बिल्कुल पसन्द नहीं; पर अब उन्हीं के हुक्म से वही बनाती हूँ, क्योंकि वे चार पाने में जो
आ जाते हैं । शहरियों की मुसीबत, बहन कुछ न पूछो। मकान, किराया है कि दम खुश्क करता है । ४०) दे रही हूँ; पर मैं ही जानती हूँ कि कैसे गुजर होती है। मेहमान आए, तो बैठाने को जगह नहीं । यह मुई लड़ाई जाने कब बन्द होगी! आपस में हमारी ऐसी ही बातें हुआ करती हैं।
सावित्री ने कहा, "अरे जी, तुमने सुना, कल हमारे पड़ोस में एक का ताला टूट गया ।"
गिरजा बोली, "यह न होगा, तो क्या होगा ? कुछ नुकसान तो नहीं हुआ ?"
सावित्री ने कहा, “यही खैर हुई। चौकीदार की लाठी की ठक-ठक सुनकर, कहते हैं, चोर भाग गया।"
सब्जामाला बोली, "मैंने तो लोहे के किवाड़ लगाने को कह