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धम्मो मंगलमुक्किठें अहिंसा सजमो तवो ।
देवावित नमसति जस्स धम्म सया मणो॥ "अहिंसा, सयम, तप, रूप जो धर्म है वह उत्कृष्ट मंगल है जिसका धर्म मे सदा मन है उसको देवता भी नमस्कार करते हैं।"
-(दशवकालिक सूत्र)
SR No.
010350
Book Title
Jain Dharm ka Pran
Original Sutra Author
N/A
Author
Sukhlal Sanghavi, Dalsukh Malvania, Ratilal D Desai